क्या से क्या हुए मिजाज मौसमके
खुशबुंऒंका क्या करे सुनी मैफीलॊंके
हमारी बातमें अब वो दम नही
ना ही उनके दम मे वो बात
करते तो है हम अबभी उनका इंतजार
पहले आने का करते थे अब जाने का
सांसोमे महसुस करे हम चमन का बुखार
काटॊंकी दवा के भी अब न कोई आसार
डरडर के चुप रहना या चुपकेसे बातें करना
नही ये राज हमारी खामोशीका
इंतजार तो बस है साकी तेरे होश मे आने का
सोचसोचके जीना या जी जी कर सोचते रहना
ख्वाहीशोकी मजार पर मरमर के आते रहना
फैसले अपने अपने बदलते है मौसम अपने अपने
---- संदीप गोडबोले
Sunday, December 27, 2009
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