Saturday, March 27, 2010
देख कबीरा मुस्कुराया !
राम नवमी के शुभ अवसर पर >
छुरी एक बार भी न रखी बगलमें , कैसे लेऊं रामनाम
चुहा एक भी न मारा , कैसे जाऊं हजधाम ?
पात्र ढेरपेटों की भुखी हसती भीड देख
अपात्र कबीरा आज मुस्कुराया
- संदीप गोडबोले
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